बस का इंतज़ार: कैसे डीटीसी दिल्ली की रफ़्तार को रोक रही हैं. किसी शहर को समझने के लिए, आपको सबसे पहले उस शहर के रास्तो और उन रास्तो पर सफ़र करने के अंदाज़ को समझना चाहिए, और इस बीच आप उस शहर की खूबियाँ, खामियां और बाकी सब बारीकियां खुद-ब-खुद समझ जाते हैं. कोई शहर कैसे सुबह अपने काम के लिए घर से बाहर निकलता हैं, कैसे शाम को अपने घर वापिस लौटता हैं, कैसे फुर्सत के चंद पलो में एक दुसरे से मिलता हैं, और ऐसे ही कई सारे सवालों के जवाब आपको उस शहर की यातायात व्यवस्था में छुपे मिल जायेंगे. एक अच्छा शहर, आपको बस, मेट्रो, और आखिरी मिल पर टेढ़े मेढ़े रास्तो से घर लाने लेजाने वाले रिक्शे में हस्ता, मुस्कुराता, अपने ख्वाबो को उधेड़ता बुनता मिल जाता हैं. वही एक थका, हारा शहर बिरान बस स्टॉप, महंगी यातायात व्यवस्था, और निजी वाहनों की अंधी भीड़ में एक अजीब सी मायूसी के साथ खड़ा होता हैं. और आजकल वही मायूसी दिल्लीवालो की आँखों में भी दिखने लगी हैं. और आप वजह समझ ही चुके होंगे, दिल्ली की यातायात व्यवस्था, खासकर दिल्ली की बसे. दिल्ली की हरी, लाल, और नारंगी बसे, जिन्हें प्यार से दिल्लीवाले दिल्ली परिवहन निगम...
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